मेरे घर के दरवाज़े पर एक गली का कुत्ता अक्सर बैठा रहता. जब भी बोर होता उसे hi कहता पर वह जवाब नहीं देता.. बीट रूड !
SSss.. अ..शअ करके भगाता फिर भी नहीं भागता . एक दिन मै उसे काफी देर तक देखता रहा. नज़रो से नज़रे मिलाई.
वह इतना conscious हुआ की वापस कभी नहीं आया
इस बारे मे कुछ नही कहना .... असल मे लेखन तभी सफल होता है जब पढने वाले को छू जाए चाहे वो आखो मे पानी ले आए या चेहरे पर मुस्कान ... आपका लेखन सफल माना जाएगा क्योकि इसमे ना कोई दिखावा है ना कोई बनावट सीधे, सहज शब्दो का सामजस्य है... आप इसी तरह लिखते रहे... शुभ कामनाएं ....
भाई जी अपके लेखन मे तो जादू है। लेकिन क्या वो वास्तव मे कुत्ता ही था????? आपका लेखन वस्तव में सफ़ल है। साधारण सी भाषा, जो कि आपकी लेखनी से निकल कर असाधारण बन जाती है।